


वर्षा ऋतु का आगमन प्रकृति में सौंदर्य और ताजगी तो लाता ही है, साथ ही यह मौसम हमारे स्वास्थ्य के लिए कई चुनौतियां भी लेकर आता है। इस समय आहार-विहार में सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक होता है, क्योंकि बारिश के चलते वातावरण में आर्द्रता बढ़ जाती है, जिससे पाचन क्रिया कमजोर पड़ सकती है और संक्रमण की आशंका भी रहती है। ऐसे में संतुलित, हल्का और सुपाच्य आहार हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाए रखने में मदद करता है।
वर्षा ऋतु में सबसे उपयुक्त आहार वे होते हैं जो शरीर में गर्मी उत्पन्न करें और वात, कफ जैसे दोषों को संतुलित करें। आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में ताजे, गर्म और हल्के खाद्य पदार्थों का सेवन करना लाभकारी होता है। मूंग की दाल, सादा खिचड़ी, उबली हुई हरी सब्जियां, अदरक व काली मिर्च से युक्त सूप, नींबू, सौंठ और हल्दी जैसे प्राकृतिक रोगनाशक तत्वों का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
इस ऋतु में तली-भुनी वस्तुएं, अधिक ठंडे पेय और बासी भोजन से दूरी बनाना चाहिए। पत्तेदार सब्जियों और खुले में बिकने वाले स्ट्रीट फूड से परहेज़ करना जरूरी है, क्योंकि इनमें जीवाणु संक्रमण की संभावना अधिक होती है। साथ ही इस मौसम में पानी उबाल कर पीना और भोजन को अच्छी तरह पकाकर ही ग्रहण करना भी आवश्यक है।
दूध और दूध से बनी चीज़ों का सेवन करते समय ताजगी और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बारिश के दिनों में दही की बजाय छाछ का सेवन करना पाचन के लिए बेहतर होता है। इस मौसम में मसाला चाय, तुलसी युक्त काढ़ा या हर्बल ड्रिंक्स भी शरीर को उर्जा और रोगों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
अंततः वर्षा ऋतु में सही आहार केवल शरीर को ही नहीं, मन को भी संतुलन में रखता है। यह समय प्राकृतिक अनुशासन का पालन करने का है, जहां भोजन न केवल पोषण दे, बल्कि रोगों से रक्षा भी करे। सावधानी, सादगी और संयम—इन्हीं तीन सिद्धांतों से वर्षा ऋतु का आनंद स्वस्थ रूप में उठाया जा सकता है।